रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन, देश ने खोया एक महान व्यक्तित्व 

भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति और टाटा समूह के चेयरमैन एमेरिटस, रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनका निधन न केवल टाटा समूह के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने इस दुखद समाचार की पुष्टि करते हुए कहा, “रतन टाटा का जाना हमारे लिए बेहद भारी नुकसान है। वे एक असाधारण नेता थे, जिनकी विरासत ने न केवल टाटा समूह, बल्कि भारत के उद्योग जगत को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व ने हमें वैश्विक मंच पर अद्वितीय पहचान दिलाई। उनके द्वारा दिखाए गए नैतिकता और समर्पण के मार्ग पर हम हमेशा चलते रहेंगे।”

रतन टाटा का जीवन और योगदान

रतन टाटा का जन्म 1937 में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता के अलगाव के बाद उनकी परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की। रतन टाटा ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से प्रबंधन की शिक्षा ली।

रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने और उन्होंने 2012 तक कंपनी का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने समूह के विस्तार और नई पहलों पर जोर दिया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने 2008 में ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जिससे भारतीय उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को 2009 में लॉन्च किया, जो भारतीय मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा साबित हुई।

परोपकार और सामाजिक योगदान

रतन टाटा ने न केवल उद्योग जगत में, बल्कि सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजसेवा में कई उल्लेखनीय कार्य किए। चंद्रशेखरन ने कहा, “रतन टाटा की परोपकारी गतिविधियों ने समाज पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों को लाभ पहुंचाएगा।”

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह की परोपकारी गतिविधियों को भी बल मिला। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान समूह के सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) कार्यों को भी विस्तार दिया। बॉम्बे हाउस, जो टाटा समूह का मुख्यालय है, में हमेशा आवारा कुत्तों के लिए एक सुरक्षित स्थान रहा, जो उनकी करुणा का प्रतीक है।

सामाजिक मीडिया पर प्रभाव

रिटायरमेंट के बाद भी रतन टाटा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे और उनकी सोशल मीडिया पर बड़ी फॉलोइंग रही। उनके प्रेरणादायक और भावुक पोस्ट्स ने लाखों दिलों को छुआ। X (पूर्व में ट्विटर) पर उनके 13 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स और इंस्टाग्राम पर करीब 10 मिलियन फॉलोअर्स थे। उन्होंने जानवरों के अधिकारों की वकालत की, खासकर कुत्तों के प्रति उनकी विशेष संवेदना रही।

सम्मान और पुरस्कार

रतन टाटा को 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इससे पहले, उन्हें 2000 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किए।

एक अद्वितीय जीवन यात्रा

रतन टाटा का जीवन उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत और समर्पण की मिसाल है। उन्होंने न केवल टाटा समूह को एक नई दिशा दी, बल्कि समाज में भी गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई मौकों पर शादी करने की योजना बनाई थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। एक बार उन्होंने बताया था कि लॉस एंजेलिस में काम करते हुए उन्हें एक लड़की से प्यार हुआ था, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण वह शादी नहीं हो पाई।

रतन टाटा की इस अविस्मरणीय यात्रा ने न केवल व्यापार जगत को बल्कि समाज के हर वर्ग को प्रेरित किया है। उनके निधन के बाद, देश ने एक सच्चे नेता और प्रेरक को खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत सदैव जीवित रहेगी।

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