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Violence In Pakistan: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर हालात बिगड़ते जा रहे हैं. सैकड़ों समर्थक इस्लामाबाद में घुसकर हिंसा पर उतारू हो गए हैं. श्रीनगर हाईवे पर प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा रेंजर्स को गाड़ियों से कुचल दिया जिसमें 4 पैराट्रूपर्स की मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक अब तक इस हिंसा में 6 सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. स्थिति को काबू में करने के लिए अनुच्छेद 245 के तहत सेना को बुलाया गया है और देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं.
बताया जा रहा है कि खैबर पख्तूनख्वा से प्रदर्शनकारी डी-चौक की ओर बढ़ रहे हैं जो राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद जैसी प्रमुख इमारतों के पास है. प्रदर्शनकारियों ने शिपिंग कंटेनरों और बैरिकेड्स को भारी मशीनरी की मदद से हटा दिया. इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर के नेतृत्व में मार्च जारी है. प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण विरोध का दावा कर रहे हैं, लेकिन हिंसा बढ़ती जा रही है.
अब तक दर्जनों पुलिसकर्मी घायल
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस ने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में कहा कि कांस्टेबल मुहम्मद मुबाशिर बिलाल जिन्हें इस्लामाबाद में तैनात किया गया था कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करते समय “उपद्रवियों की हिंसा” के कारण घायल हो गए. इसमें ये भी कहा गया कि सरगोधा पुलिस का एक अन्य कांस्टेबल उपद्रवियों की ओर से की गई गोलीबारी के कारण घायल हो गया और उसका इलाज किया जा रहा है.
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. पीएम शहबाज शरीफ ने इन हिंसक घटनाओं की निंदा करते हुए दोषियों को सजा देने का आदेश दिया है. गृह मंत्री ने भी चेतावनी दी कि हिंसक प्रदर्शनकारियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.
बुशरा बीबी का अपील और समर्थकों का जोश
इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने समर्थकों से अपील की है कि वे राजधानी पहुंचें और अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखें. उन्होंने इसे केवल इमरान खान की रिहाई का मुद्दा नहीं बल्कि देश और उसके नेतृत्व की लड़ाई बताया. उनका कहना है कि ये संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक इमरान खान रिहा नहीं होते.
देश में कानून-व्यवस्था की चुनौती
देशभर में अशांति फैलने से सरकार के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गई है. प्रदर्शनकारियों के हिंसक तेवर और सुरक्षाबलों की सख्ती से हालात और गंभीर हो गए हैं. पाकिस्तान इस समय अपने राजनीतिक और सामाजिक इतिहास के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
इस हिंसा और अशांति का पाकिस्तान की छवि पर नेगेटिव प्रभाव पड़ रहा है. इमरान खान के नेतृत्व में ये विरोध प्रदर्शन देश की स्थिरता और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस स्थिति से कैसे निपटती है और क्या इमरान खान के समर्थक अपने उद्देश्यों को हासिल कर पाएंगे.
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